लकी जैन,(G.N.S)। देश में 21 दिन का लॉकडाउन 24 मार्च की रात से घोषित हुआ चुका है। लाखों की संख्या में देहाड़ी मजदूर एक ही रात में बेरोजगार होने के साथ ही बेघर भी हो गए। बड़ी संख्या में एक भीड़ शहर से गांव पलायन कर रही है, लेकिन जेब में न पैसा है, सड़क पर न गाड़ी और पेट में न ही अनाज। फुटपाथ पर बैठे तो पुलिस ने हटा दिया, कि कर्फ्यू है।मजबूर मजदूर ने पत्नी और बच्चों के साथ 500-600 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव लौटने की हिम्मत बटोरी और चल पड़े। दिल्ली, यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित कई राज्यों को जोड़ती सड़कों पर भूख से विचलित लोग चल रहे हैं, और शायद अपने घर भी पहुंच जाएंगे, लेकिन ये अपने साथ कोरोना औ भूख दोनो को लेकर चल रहे हैं।सवाल है कि क्यों देश की केन्द्र और राज्य सरकारें इस भीड़ को भरोसा नहीं दिला पायीं कि कि ये जहां हैं, वहीं रहें, उनका ख्याल रखा जाएगा..? शहर से गांव पलायन कर रहा आदमी सिर्फ हिंदुस्तान का है..! वह न राजस्थान का है, न यूपी, न महाराष्ट्र, न गुरात, न दिल्ली, न बिहार या किसी अन्य राज्य का। विपदा पूरे देश पर आयी है तो सभी राज्य की सरकारें एकजुट क्यों नही दिख रहीं। क्यों वे अपने-अपने पैकेज बता रही है। क्यों वे सड़क पर चल रहे इस आदमी को भरासो नहीं दिला पा रही है।
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा।