(जी.एन.एस) ता. 16
बीजिंग
कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से चीन में उपभोक्ता व्यय और अन्य कारोबारी गतिविधियां जनवरी-फरवरी में उम्मीद से ज्यादा खराब रहीं। इससे चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के सामने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सरकार के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी के अंत में कारोबारों और शॉपिंग मॉल के बंद होने के बाद सालाना आधार पर खुदरा बिक्री में 20.5 प्रतिशत की गिरावट रही। चीनी नववर्ष की छुट्टियों के बाद की अवधि में विनिर्माण कारखाने और कार्यालय बंद रहे और कारखानों का उत्पादन रिकॉर्ड 13.5 प्रतिशत गिर गया। यह आंकड़े अर्थशास्त्रियों के आकलन से भी बुरी स्थिति दिखाते हैं। उन्होंने आगाह किया है कि कारखानों और अन्य कारोबारों को दोबारा खोलने के सरकारी प्रयासों के बावजूद विनिर्माताओं एवं अन्य को विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष का सामना करना होगा। साथ ही कोरोना वायरस को नए सिरे से फैलने से रोकने के प्रयास करने होंगे।
आईएनजी के अर्थशास्त्री आइरिस पैंग ने अपनी एक रपट में कहा, ‘‘अभी यह (कोरोना वायरस) बुरा स्वप्न खत्म नहीं हुआ है। देखना होगा आगे क्या होता है'' चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ नियंत्रण हटाए हैं। कई क्षेत्रों के कारखानों और अन्य कारोबारों को फिर से खोलने की अनुमति दी है लेकिन कंपनियों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि गतिविधियों को सामान्य स्तर पर आने में महीनों का वक्त लगेगा। उनका कहना है कि यूरोपीय संघ और अमेरिका के यात्रा और अन्य प्रतिबंध लगाने से चीन के निर्यात की मांग कम होगी। कैपिटल इकोनॉमिक्स के जुलियन इवान्स-प्रिचार्ड ने एक रपट में कहा कि यह आंकड़े मौजूदा तिमाही में और गिरावट होने के संकेत दिखाते हैं। मार्च के आंकड़े और भी बुरे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जनवरी-फरवरी के आंकड़े इसलिए भी थोड़े बेहतर हैं क्योंकि इसमें जनवरी की शुरुआत के आंकड़े भी शामिल हैं। तब कोरोना वायरस का प्रकोप फैलना शुरू नहीं हुआ था।
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा।