(जी.एन.एस) ता. 29
नई दिल्ली
घरेलू शेयर बाजार को कोरोना वायरस का ऐसा डंक लगा है कि महज 7 कारोबारी दिनों यानी एक सप्ताह में सेंसेक्स 2,600 अंकों से ज्यादा टूट गया है। निफ्टी में भी 816.45 अंकों के करीब गिरावट रही है। इस दौरान निवेशकों को भी बड़ा झटका लगा और उनके करीब 11.52 लाख करोड़ रुपए डूब गए। इस दौरान शेयरों में 34 प्रतिशत तक गिरावट रही है। बता दें कि कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट है, जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिख रहा है। अमरीकी बाजारों में लगातार 6 दिन गिरावट रही, वहीं आज घरेलू बाजारों में भी लगातार छठे दिन कमजोरी देखने को मिली। सेंसेक्स 19 फरवरी को 41,323 के स्तर पर बंद हुआ था, वहीं 28 फरवरी के कारोबार में यह 1,448.37 अंक टूटकर 38,297.29 के स्तर पर बंद हुआ यानी 7 कारोबारी दिनों के अंदर इसमें 2,729.53 अंकों की गिरावट आई। 19 फरवरी को बी.एस.ई. पर लिस्टेड कम्पनियों का मार्कीट शेयर 158.71 लाख करोड़ रुपए था। वहीं आज यानी शुक्रवार के कारोबार में यह घटकर 147.77 लाख करोड़ रुपए रह गया यानी 7 कारोबारी दिनों के अंदर इसमें 11 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आ गई।
कोरोना के कहर से क्रूड ऑयल का बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बैंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव इस साल की ऊंचाई से 30.28 प्रतिशत टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनैंटल एक्सचेंज यानी आई.सी.ई. पर ब्रेंट क्रूड का भाव 8 जनवरी को 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था। यह इस साल का अब तक का ब्रेंट क्रूड के भाव का सबसे ऊंचा स्तर है। बीते एक सप्ताह से कोरोना के कहर से बाजार में मचे कोहराम के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव इस ऊंचे स्तर से 21.79 डॉलर यानी 30.28 प्रतिशत टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई नरमी से भारतीय वायदा बाजार में भी कच्चे तेल के सौदों में शुक्रवार को करीब 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अंतर्राष्ट्रीय बाजार आई.सी.ई. पर ब्रेंट के मई डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र के मुकाबले 2.73 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 50.32 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।
आज यूरोपीय शेयर बाजार खुलते ही 3 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। वहीं वीरवार को अमरीकी और यूरोपीय बाजारों में भारी गिरावट की वजह से एशियाई बाजार भी लाल निशान में कारोबार करते दिखे। इसका असर भारतीय बाजार पर ऐसा हुआ कि सुबह बाजार खुलते ही मिनटों में निवेशकों के करीब 5 लाख करोड़ रुपए डूब गए। सुबह सेंसेक्स 1153 अंक टूट गया। अमरीका की शेयर मार्कीट 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। इससे पहले अमरीकी शेयर मार्कीट 2008 में मंदी के दौर में सबसे बुरे दौर से गुजरी थी। ब्रोकरेज हाऊस एम.के. ग्लोबल के अनुसार कोरोना वायरस का संक्रमण काफी लंबे समय तक ङ्क्षखच गया है, जिससे चीन सहित उसके साथ ट्रेड से जुड़े देशों की इंडस्ट्री पर असर दिख रहा है। दुनियाभर के एक्सपोर्ट की करीब 12 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है। बता दें कि भारत सहित कई देशों में चीन का बड़ा एक्सपोर्ट है और वहां से आने वाले जरूरी पार्ट का इस्तेमाल घरेलू कम्पनियां करती हैं। ऐसे में मैन्यूफैक्चरिंग सप्लाई चेन बाधित होने का असर कम से कम इन कम्पनियों पर 3 महीने रहेगा। इसमें एग्रो कैमीकल्स, मैटल, फार्मा, ऑयल एंड गैस, कैमीकल और ऑटो इंडस्ट्री भी शामिल है। इससे पहले इस साल एक फरवरी को बजट के दिन सेंसेक्स ने 10 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखी थी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 987.96 अंक टूटकर 39,735.53 पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 300.25 अंक टूटकर 11,661.85 अंक पर आ गया था।
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा।