नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (rajnath singh) ने शनिवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नजरबंदी से जल्द रिहा होने की प्रार्थना कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वे कश्मीर में हालात को सामान्य बनाने में योगदान देंगे.
मोदी सरकार द्वारा पिछले वर्ष पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 (Article 370) को हटा दिया गया था, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया.
इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से महबूबा मुफ्ती सहित दर्जनों राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया था. हालांकि इसके बाद से अधिकांश राजनेताओं को रिहा कर दिया गया है, मगर तीनों पूर्व मुख्यमंत्री और एक दर्जन राजनेताओं को अभी भी नजरबंद रखा गया है.
फारूक अब्दुल्ला को सितंबर में कड़े सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंद किया गया और इसके कुछ समय बाद उमर और महबूबा को भी इसी के तहत हिरासत में लिया गया था. सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से इन नेताओं के भड़काऊ बयानों का हवाला देते हुए इन्हें नजरबंद रखा है.
शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "कश्मीर शांतिपूर्ण रहा है. स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है. सुधार के साथ-साथ इन फैसलों (नजरबंदी से राजनेताओं की रिहाई) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा. सरकार ने किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया है." सरकार के फैसले का बचाव करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर के हितों में कुछ कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, "हर किसी को इसका स्वागत करना चाहिए."