दिल्ली। चांदबाग इलाके में बुधवार को एक बार फिर तोड़फोड़ हुई। यहां उपद्रवी ने एक दुकान में तोड़फोड़ की है। इस हिंसा में अब तक 20 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कई मृतकों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। मुर्दाघर के बाहर अपने परिजनों की लाश लेने आए लोग दुखी हैं और उनकी चीत्कार से यहां माहौल गमगीन है।
इन लोगों में 69 साल के हरी सिंह सोलंकी भी शामिल हैं जिनके बेटे की बीते सोमवार को इस हिंसा में मौत हो गई। 26 साल के राहुल सिंह सोलंकी के पिता अस्पताल के बाहर खुद को संभाल नहीं पा रहे थे और बदहवास नजर आ रहे थे। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उनका बेटे कुछ सामान खरीदने घर से बाहर गया था और वापस लौटते वक्त उसे गोली लग गई। राहुल सोलंकी एक मार्केटिंग कंपनी में टीम लीडर थे। उनकी एक बहन सीआरपीएफ में काम करती हैं।
राहुल सोलंकी के पिता ने बताया कि सोमवार को तीन बजे माहौल खराब होना शुरू हुआ। 'मैं 20 सालों से समाज की सेवा कर रहा हूं। मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं...कई बार मैंने 112 नंबर पर सूचना दी। मेरी 2-3 बार बातचीत भी हुई लेकिन कोई पुलिस नहीं आई मदद के लिए। एसीपी, डीसीपी, एसएचओ कोई भी बड़े अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि 2 महीने से शांतिपूर्वक प्रदर्शन चल रहा था। आग लगा कर लोगों को भड़का कर कपिल मिश्रा अपने घर में घुस गए हम जैसों के बेटे खत्म हो गए।'
राहुल सोलंकी के घरवालों का कहना है कि कपिल मिश्रा को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। परिवार वालों का आरोप है कि कोई भी निजी क्लिनिक राहुल को भर्ती करने के लिए राजी तक नहीं था और जीटीबी अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई। राहुल की छोटी बहन की शादी अप्रैल में होने वाली थी।
जीटीबी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर 25 साल के नासिर भी अपने भाई शाहिद का शव लेने पहुंचे थे। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि शाहिद बुलंदशहर का रहने वाला था। वो ऑटो चलाता था और तीन महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी। शाहिद की मौत मुस्तफाबाद इलाके में पेट में गोली लगने की वजह से हुई।
उनके बड़े भाई ने बताया कि शाहीद पार्किंग में अपना ऑटो खड़ा करने के बाद घर जा रहा था और उधर ही दंगाइयों ने उसे पकड़कर उसके पेट में गोली मार दी। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। शाहीद की शादी पिछले साल सितंबर के महीने में हुई थी। करीब 6 साल पहले शाहीद का परिवार दिल्ली आया था। परिजनों का कहना है कि 'हमने दिल्ली में कभी भी ऐसी हिंसा नहीं देखी। यह हिंसा सिर्फ कपिल मिश्रा की वजह से भड़की क्योंकि उन्होंने लोगों को उकसाया।'