आशाओं को गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) का प्रशिक्षण देकर उन्हें मातृ और शिशु देखभाल के बारे में दक्ष किया गया। जिन आशाआों को प्रशिक्षण मिला है, वे अब मातृ व शिशु को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही उन्हें चिकित्सा सेवाएं देगी। सीएमओ कार्यालय स्थित अचल आशाओं नदीगांव, डकोर, जालौन ब्लाक की आशाओं के अलग अलग बैच को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इसमें आशाओं को गृह भ्रमण के दौरान होने वाली गतिविधियों के बारे में बताया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अल्पना बरतारिया ने बताया कि जिले में 1207 आशाएं है, उनकी समय समय पर रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी जाती है। करीब 239 ऐसी आशाएं है, जिन्हें यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य आशाओं को उनके काम में परिपक्व बनाना है।स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि अब आशा को थर्मामीटर, वजन मशीन से लैस कर दिया गया है। अब सभी आशाएं गृह भ्रमण के दौरान नवजात का वजन लेगी और उसे भलीभांति और उसका तापमान नापेंगी। यदि बच्चा घर पर पैदा हुआ है तो आशाएं पहले, तीसरे, सातवे, 14 वें, 21 वें, 28 और 42 वें दिन कुल सात बार घर पर जाएगी और यदि अस्पताल में पैदा हुआ है तो तीसरे, सातवे, 14 वें, 21, 28 वें और 42 वें दिन कुल छह बार नवजात के घर पर जाकर मां और बच्चे की जांच करेगी। यही नहीं आशाएं घर में घुसने से पहले हाथ साफ करेंगी और माताओं को भी समझाएगी कि हर बार हाथ धोने के बाद ही शिशु को गोद में ले या उसे स्तनपान कराए। साथ ही स्तनपान का महत्व भी बताएंगी। प्रशिक्षण के दौरान आशाओं से काम के दौरान होने वाली गतिविधियों को करना भी सिखाया गया। ब्लाक समुदाय कार्यक्रम प्रबंधक (बीसीपीएम) विकास चंद्रा ने बताया कि आशाओं को गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें नदीगांव, रामपुरा, बाबई, डकोर और जालौन ब्लाक की आशाओं को 22 से 7 मार्च तक अलग अलग बैच में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस दौरान प्रशिक्षण डा. जितेंद्र, राकेश, डा. इदरीश मुहम्मद, वीरेंद्र कुमार, रामकिशोर, अरुण कुमार आदि रहे।